Thursday 7 July 2011

सूचना के अधिकार का छिपा हुआ सच

गुजरात राज्य में एक गैर सरकारी संगठन ने सूचना के अधिकार की क्रियान्विति के विषय में एक सर्वेक्षण किया था . सर्वेक्षण के कुछ महत्व्पूर्ण व रोचक तथ्य इस प्रकार है .इस सर्वेक्षण का उद्देश्य यह जानना था कि सामान्यतया अधिकारीगण प्रार्थीगण से किस प्रकार का व्यवहार करते हैं | तहसील स्तर पर स्थिति यह रही कि ७६ % लोक सूचना अधिकारियों ने व ८० % अपील अधिकारियों ने नोटिस बोर्ड पर अपने नाम प्रदर्शित नहीं कर रखे थे जबकि २० % से भी कम कार्यालयों में लोक सूचना अधिकारियों व अपील अधिकारियों के नोटिस बोर्ड पर नाम प्रदर्शित कर रखे थे |मात्र ८ % कार्यालयों ने लोक सूचना अधिकारी नामांकित करने की अधिसूचना की प्रति उपलब्ध करवाई |कई कार्यालयों ने इसे आतंरिक प्रलेख बताते हुए दिखाने से मना कर दिया |६५ % लोक सूचना अधिकारी अपने स्थान पर नहीं पाए गए जबकि दल ने कई बार उनका दौरा किया |४२ % कार्यालयों में सहायक सूचना अधिकारी थे जो लगभग अपने स्थान पर पाए गए | पुलिस थानों और डाक घरों में मात्र सहायक सूचना अधिकारी नियुक्त थे जो कार्यालय से बाहर बताये गए |विधिक सेवा प्राधिकरण में लोक सूचना अधिकारी से मिलने का समय मात्र आधा घंटा प्रति दिन तक ही सीमित था |

जिला स्तर पर ७५ % कार्यालयों में लोक सूचना अधिकारियों व अपील अधिकारियों ने नोटिस बोर्ड पर नाम प्रदर्शित कर रखे थे व ६२ % ने ये नोटिस बोर्ड सहज दृश्य स्थान पर लगा रखे थे | मात्र २५ % कार्यालयों ने लोक सूचना अधिकारी नामांकित करने की अधिसूचना की प्रति उपलब्ध करवाई | ७५ % लोक सूचना अधिकारी अपने स्थान पर पाए गए |८३ % कार्यालयों में सहायक सूचना अधिकारी अपने स्थान पर पाए गए |दल को जिला पुलिस अधीक्षक से मिलने नहीं दिया गया जो कि बहुत अधिक व्यस्त बताये गए |तहसील स्तर पर ४०% से भी कम कार्यालयों में धारा ४ की अपेक्षानुसार स्वतः प्रदर्शनीय सूचना संकलित होने की पुष्टि की गयी जबकि किसी भी कार्यालय ने इस संकलित सूचना को नोटिस बोर्ड पर प्रदर्शित नहीं कर रखा था |९४ % कार्यालयों ने दल से स्वतः प्रदर्शनीय सूचना के लिए आवेदन की अपेक्षा की |८५ % कार्यालयों ने दल से स्वतः प्रदर्शनीय सूचना के लिए फीस की अपेक्षा की | वास्तव में ३० % से भी कम कार्यालयों ने स्वतः प्रदर्शनीय सूचना उपलब्ध करवाई | २२% कार्यालयों ने १० से ३० दिन में दल को स्वतः प्रदर्शनीय सूचना उपलब्ध करवाई |विधिक सेवा प्राधिकरण ने तो इस आशय का आवेदन ही निरस्त कर दिया कि उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार यह सूचना धारा ८ द्वारा प्रतिबंधित श्रेणी में आती है | ७० % से अधिक कार्यालयों ने सशुल्क आवेदन के उपरांत भी दल को स्वतः प्रदर्शनीय सूचना उपलब्ध नहीं करवाई | इन कार्यालयों ने सर्वेक्षण दल से रुपये १००० आवेदन शुल्क ले लिया किन्तु कोई सूचना उपलब्ध नहीं करवाई | दल ने इन आवेदनों पर रूपये १२५० रजिस्ट्री डाक शुल्क भी व्यय किया क्योंकि कई कार्यालयों ने व्यक्तिशः आवेदन लेने से मना कर दिया था |


जिला स्तर पर अनुपालना का स्तर ठीक पाया गया |७९ % कार्यालयों ने स्वतः प्रदर्शनीय सूचना संकलित होने की पुष्टि कर दी जबकि अधिकांश कार्यालयों ने इस संकलित सूचना को नोटिस बोर्ड पर प्रदर्शित नहीं कर रखा था | ५४ % कार्यालयों ने स्वतः प्रदर्शनीय सूचना की प्रति उपलब्ध करवाई | १० कार्यालयों ने ५ से ३० दिन में दल को स्वतः प्रदर्शनीय सूचना उपलब्ध करवाई | ४६ % कार्यालयों ने सशुल्क आवेदन के उपरांत भी दल को स्वतः प्रदर्शनीय सूचना उपलब्ध नहीं करवाई | इन कार्यालयों ने सर्वेक्षण दल से रुपये २२० आवेदन शुल्क ले लिया किन्तु कोई सूचना उपलब्ध नहीं करवाई | दल ने इन आवेदनों पर रूपये २७५ रजिस्ट्री डाक शुल्क भी व्यय किया क्योंकि कई कार्यालयों ने व्यक्तिशः आवेदन लेने से मना कर दिया था |

अधिनियम की धारा २५ में यद्यपि प्रत्येक लोक प्राधिकारी को वार्षिक प्रतिवेदन फाइल करना होता है किन्तु तहसील स्तर पर मात्र ६० % कार्यालयों ने अलग से रजिस्टर बना रखा था और कुछ ने डाक रजिस्टर में ही सीमित आंकडे रखे हुए थे |मात्र ४० % कार्यालयों ने दल को सूचना के अधिकार रजिस्टर का निरीक्षण करने दिया |५६ % कार्यालयों ने दल से लिखित आवेदन व शुल्क के उपरांत भी उक्त रजिस्टर का निरीक्षण नहीं करने दिया |इन कार्यालयों को रुपये ८४० शुल्क का भुगतान किया गया था | दल ने इन आवेदनों पर रूपये १०५०रजिस्ट्री डाक शुल्क भी व्यय किया क्योंकि कई कार्यालयों ने व्यक्तिशः आवेदन लेने से मना कर दिया था | जिला स्तर पर ९२% कार्यालयों ने अलग से रजिस्टर बनाना बताया |६२% कार्यालयों ने दल को सूचना के अधिकार रजिस्टर का निरीक्षण करने दिया |४८% कार्यालयों ने दल से लिखित आवेदन व शुल्क के उपरांत भी उक्त रजिस्टर का निरीक्षण नहीं करने दिया |इन कार्यालयों को रुपये १८० शुल्क का भुगतान किया गया था | दल ने इन आवेदनों पर रूपये २२५ रजिस्ट्री डाक शुल्क भी व्यय किया क्योंकि कई कार्यालयों ने बार बार चक्कर लगाने के बावजूद व्यक्तिशः आवेदन लेने से मना कर दिया था |जिला स्तर पर अधिकत्तम १६.१६ आवेदन प्रति माह व तहसील स्तर पर अधिकत्तम २.७५ आवेदन प्रतिमाह कार्यालयों में प्राप्त होना पाया गया |इससे यह स्पष्ट है कि सूचना के अधिकार के अंतर्गत प्राप्त आवेदनों की दैनिक संख्या लगभग नगण्य है और ऐसा कोई कार्य भार नहीं है जिसका लोगों को विश्वास है |


दल द्वारा किये गए सर्वेक्षण से स्पष्ट है कि अधिनियम की अनुपालना में नौकरशाही न्यूनतम रुचिबद्ध है और नागरिकों को अपेक्षित लाभ नहीं हुआ है |दल के सर्वेक्षण से यह भी स्पष्ट हुआ है कि अधिनियम की अनुपालना में पुलिस एवं न्याय विभाग( जो जन अधिकारों के हनन के लिए पहले से ही अग्रणी मने जाते हैं ) सबसे पीछे हैं तथा नागरिकों को कम से कम सूचनाएँ उपलब्ध करवाना चाहते हैं | जब आवेदन पत्र लेने तक से मना किया जा रहा हो तो सूचना प्रदानगी की स्थिति का सहज अनुमान लगाया जा सकता है | इससे यह भी अनुमान लगाया जा सकता है कि प्रदत सूचनाएँ किस सीमा तक संतोषप्रद हो सकती हैं |इस प्रकार राज्यों के संचालन में अभी भी पारदर्शिता का अभाव है और राजतन्त्रिक कार्यशैली कार्य संस्कृति का अभिन्न अंग बनी हुई है तथा अनुमान है कि अन्य राज्यों में भी स्थिति ज्यादा भिन्न नहीं होनी चाहिए |अधिनियम के उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए अभी नागरिकों के स्तर पर और संघर्षपूर्ण प्रयासों की आवश्यकता अनुभव की जा रही है |

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