Saturday, 14 November 2020

न्याय तंत्र एक मकडजाल

 

संवैधानिक न्यायालयों में सीधी भर्ती के पीछे छिपा हुआ उद्देश्य  है | संवैधानिक न्यायालयों में लगभग 75% मामलों में सरकार ही पक्षकार होती है | इन  न्यायालयों में जब न्यायाधीश सरकार द्वारा उपकृत लोग ही होंगे और बिना किसी परीक्षा को उत्तीर्ण  किये सीधे आयेंगे  तो उन्हें एहसान का हमेशा स्मरण रहेगा| वे अधीनस्थ न्यायालयों पर भी अपने प्रभाव का प्रयोग कर एहसान  का बदला चुका सकेंगे | ठीक इसी प्रकार समय पर, सही और पूर्ण न्याय नहीं देने के पीछे भी छिपा हुआ उद्देश्य है | मुकदमेबाजी बढती जायेगी , न्यायाधीशों के और पद सृजित होते रहेंगे , पदोन्नति के अवसर बढ़ेंगे  और वरिष्ठ न्यायाधीशों के सम्मान करनेवाले कनिष्ठ लोगों की जमात भी बढती जायेगी | पूजने वाले ज्यादा होंगे तो देव प्रसन्न रहेंगे , प्रसाद मिलता रहेगा | पंथ प्रसार होगा तो भाईचारा बढ़ता जाएगा | इसके विपरीत यदि समय पर और पूर्ण न्याय देने लगें तो लोगों में कानून के उल्लंघन का भय बढ़ जाएगा जिससे मुकदमों की संख्या स्वत: घट जायेगी - पंथ , वंश का अस्तित्व संकट में पड सकता है  और पदोन्नति तो दूर  विद्यमान न्यायालयों की संख्या भी घटने का संकट मंडराने लगेगा | इसलिए मुक़दमे द्रोपदी के चीर की तरह बढ़ते रहें  इसी में एक बड़े वर्ग का हित निहित है | सरकार कानून कुछ भी बना दे अर्थ हमेशा अपने हित में निकाला जाएगा |

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