न्याय तंत्र एक मकडजाल
संवैधानिक न्यायालयों में सीधी
भर्ती के पीछे छिपा हुआ उद्देश्य है |
संवैधानिक न्यायालयों में लगभग 75% मामलों में सरकार ही पक्षकार होती है | इन न्यायालयों में जब न्यायाधीश सरकार द्वारा उपकृत
लोग ही होंगे और बिना किसी परीक्षा को उत्तीर्ण किये सीधे आयेंगे तो उन्हें एहसान का हमेशा स्मरण रहेगा| वे
अधीनस्थ न्यायालयों पर भी अपने प्रभाव का प्रयोग कर एहसान का बदला चुका सकेंगे | ठीक इसी प्रकार समय पर, सही
और पूर्ण न्याय नहीं देने के पीछे भी छिपा हुआ उद्देश्य है | मुकदमेबाजी बढती
जायेगी , न्यायाधीशों के और पद सृजित होते रहेंगे , पदोन्नति के अवसर बढ़ेंगे और वरिष्ठ न्यायाधीशों के सम्मान करनेवाले
कनिष्ठ लोगों की जमात भी बढती जायेगी | पूजने वाले ज्यादा होंगे तो देव प्रसन्न रहेंगे
, प्रसाद मिलता रहेगा | पंथ प्रसार होगा तो भाईचारा बढ़ता जाएगा | इसके विपरीत यदि
समय पर और पूर्ण न्याय देने लगें तो लोगों में कानून के उल्लंघन का भय बढ़ जाएगा जिससे
मुकदमों की संख्या स्वत: घट जायेगी - पंथ , वंश का अस्तित्व संकट में पड सकता है और पदोन्नति तो दूर विद्यमान न्यायालयों की संख्या भी घटने का संकट
मंडराने लगेगा | इसलिए मुक़दमे द्रोपदी के चीर की तरह बढ़ते रहें इसी में एक बड़े वर्ग का हित निहित है | सरकार
कानून कुछ भी बना दे अर्थ हमेशा अपने हित में निकाला जाएगा |
No comments:
Post a Comment