Monday, 10 October 2011

असावधानी सहन नहीं की जा सकती

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने चन्दरसिंह बनाम मध्यप्रदेश राज्य (1992 क्रि.ला.ज. 3947) में कहा है कि इस मामले से अलग होने से पूर्व भा.द.सं. की धारा 323 या 323,149 के आरोप विरचित किय गये किन्तु निष्कर्ष नहीं दिये गये ऐसी गंभीर खामी पर अप्रसन्नता व्यक्त करने से हम विवश हैं। किसी  भी न्यायालय द्वारा न्यायदान में इस प्रकार की असावधानी सहन नहीं  की जा सकती और उससे इस प्रकार का अतिसंक्षिप्त  निर्णय देने की अपेक्षा नहीं की जा सकती और वह भी बड़े आरोप में। इस निर्णय की एक प्रति श्री बी.एल. जैन जहां पर भी हों के मार्गदर्शन के लिए भेजी जाये।

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