Monday, 24 October 2011

अन्वीक्षण का बकाया रहने का अर्थ है लोगों को न्यायालय की आदेशिका के बन्धक बनाये रखना है

बम्बई उच्च न्यायालय ने आर.एस. केडकर बनाम महाराष्ट्र  राज्य (1980 क्रि.ला.ज. 254) में कहा है एक बार जब आरोपण का आपराधिक प्रकृति के न्यायालय द्वारा प्रसंज्ञान ले लिया जाता है तो अन्वीक्षण त्वरित गति से होना  चाहिए ताकि दोषी को दण्डित किया जा सके तथा निर्दोष को छोड़ जा सके। यह सार्वजनिक न्याय के हित में तेजी से तथा बिना समय गँवाये प्राप्त किया जाना चाहिये। इस प्रकार मामलों को लम्बित रखने से मात्र न्याय के लक्ष्यों को ही गंभीर क्षति नहीं पहुंचती है बल्कि अपराध के अन्वीक्षण का बकाया रहने का अर्थ है लोगों को न्यायालय की आदेशिका के बन्धक बनाये रखना है। अब समय आ गया है जबकि त्वरित अन्वीक्षा के महत्व को समझा जाना चाहिये और आपराधिक न्याय प्रशासन के सिद्धान्तों का प्रभावी अनुसरण किया जाना चाहिए।

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