Tuesday, 22 March 2011

न्यायिक आचरण-03

चन्द्रसिंह राजस्थान उच्चतर न्यायिक सेवा में थे तथा उन्हें 58 वर्ष के बाद सेवा विस्तार नहीं दिया गया। उच्च न्यायालय द्वारा उनकी प्रार्थना को अस्वीकार कर देने पर सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका  चन्द्रसिंह बनाम राजस्थान राज्य (ए.आई.आर. 2003 स.न्या. 2889)में कहा गया कि  भारतीय संविधान का अनुच्छेद 235 उच्च न्यायालय को काली भेड़ों को अनुषासित करने अथवा सूखी लकड.ी को उखाड़ फैंकने के दृश्टिकोण से किसी न्यायिक अधिकारी के निश्पादन का मूल्यांकन हेतु समर्थ बनाता है। उच्च न्यायालय की यह संवैधानिक षक्ति किसी नियम या आदेष से परिमित नहीं की जा सकती। हम अनुच्छेद 235 पर कुछ प्रमुख वादों का लाभप्रद संदर्भ ले सकते है। न्यायिक सेवाओं की प्रकृति ऐसी है कि संदिग्ध निश्ठा वालेया उपयोगिता खो चुके व्यक्तियों की सेवाओं से (जनता को) लगातार पीड़ित नहीं रख सकते। अपील निरस्त कर  दी गयी।

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