Friday 19 August 2011

अवमान में व्यक्तिगत शिकायत भी हो सकती है

सुप्रीम कोर्ट ने पी.एन.दूबे बनाम पी. शिवशंकर (एआईआर 1988 एस सी 1208) में स्पष्ट किया है कि न्यायालय द्वारा स्पष्ट रूप से स्वप्रेरणा से (अवमान का) प्रसंज्ञान लिया जा सकता है किन्तु आम जनता को भी न्यायालय जाने का अधिकार है। न्यायालय के ध्यान में लाने का अधिकार अटॉर्नी जनरल या सॉलिसिटर जनरल की सहमति पर निर्भर है और यदि ऐसी सहमति बिना कारण के धारा 15 के अन्तर्गत अधिकार के रोक ली जाती तो वह व्यक्ति के न्यायालय में आवेदन पर अनुसंधान की जा सकती है।

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