Monday, 29 August 2011

जांच आयोग व जनहित याचिकाएं

सुप्रीम कोर्ट ने संजीव कुमार बनाम हरियाणा राज्य के निर्णय दिनांक 25.11.03 में स्पष्ट किया है कि हम महसूस करते है कि इस प्रकार के मामले में जांच करने में भारत के आयोग अधिक उपयुक्त हैं जिनका उद्देश्य सत्य का पता लगाना है जिससे भविष्य के लिए सबक सीख सकें तथा नीतियां इस प्रकार तैयार करे या विधायन करे कि उन कमियों की पुनरावृति न हो। इस प्रकार के आयोग दोषी को दण्ड देने के उद्देश्य की पूर्ति के लिए उपयुक्त नहीं है।
राजीव रंजन सिंह ललन बनाम भारत संघ के निर्णय दिनांक 21.08.06 में कहा है कि न्यायालय के लिए प्रार्थी की शिकायत की विषय वस्तु को देखे बिना उसके हित को देखना गलत है। यदि याची सार्वजनिक कर्तव्य की विफलता दर्शाता है तो उसकी लोकहित याचिका को निरस्त करने में न्यायालय गलत है। इस न्यायालय की खण्डपीठ ने न केवल सी.बी.आई. को नौकरशाहों के विरुद्ध जांच का निर्देश दिया है बल्कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा परियोजना के लिए दिये गये 17 करोड़ रूपये का पता लगाने के लिए भी कहा है। विभाग को सहयोग से काम करना होता है। यदि सदस्यों के लिए मुद्दों को समझना कठिन था तो एक व्यक्ति यह समझने में असमर्थ है कि ट्रिब्यूनल द्वारा विभाग के उच्चाधिकारियों को दण्डित क्यों किया गया। एक संतोषजनक न्यायिक निकाय मुख्य रूप से निचले स्तर के न्यायालयों के कार्य करने पर निर्भर करता है।

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